नवी मुंबई के परलैंगिकों की अनूठी स्वच्छता पहल



‘स्वच्छता पखवाड़ा-स्वच्छता ही सेवा’ में देशभर के लोगों की भारी भागीदारी देखी जा रही है। विभिन्न नागरिक समुदाय अपने पड़ोस, सार्वजनिक स्थानों, बस स्टॉप, मेट्रो स्टेशनों, रेल पटरियों, पहाड़ियों, समुद्र तटों और पर्यटन स्थलों से कूड़ा-कचरा के ढेर को साफ करने के लिए एक साथ आ रहे हैं।

नवी मुंबई में सफाई मित्रों, नागरिकों, युवाओं, स्कूली छात्रों, निगम अधिकारियों, प्रतिष्ठित हस्तियों, पुरुषों और महिलाओं की समान रूप से बड़ी भागीदारी देखी जा रही है। शहर ने समावेशी स्वच्छता के प्रतीक नवीन स्वच्छता गतिविधियों का एक सुंदर मिश्रण प्रस्तुत किया। महाराष्ट्र में नवी मुंबई में विभिन्न पहलों और अभियानों के माध्यम से बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी और लामबंदी देखी गई। लेकिन, जो बात शहर के लिए सबसे विशेष रही, वह परलैंगिक समुदाय के लोगों की भागीदारी थी।

Read in English: Navi Mumbai’s unique punch for Swachhata Mission

परलैंगिक समुदाय ने स्वच्छता की जिम्मेदारी ली है और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में पूरे ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के बारे में विशेष रूप से स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्य और सामान्य रूप से उचित स्वच्छता की आवश्यकता के बारे में जागरtकता फैलाने की जिम्मेदारी ली।

शहर के 250 से अधिक परलैंगिक कार्यकर्ताओं ने वाशी वार्ड के मिनी समुद्र तट पर बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाया। 'सफाई दो मत- सफाई करो' वह संदेश था जो नवी मुंबई के परलैंगिक समूह ने शहर के ट्रैफिक सिग्नलों पर ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़े के लिए दिया था।

अभियान के तहत शहर को कचरामुक्त बनाने के लिए शिकायत करने के लिए नहीं, बल्कि स्वच्छता के कार्य करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। साड़ियां और सफेद टोपी पहने और ट्विन बिन, कैंपेन स्टैंडी और प्लेकार्ड से घिरे हुए परलैंगिकों ने रास्ते से गुजर रहे वाहन चालकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। कचरे को अलग करने को बढ़ावा देने की उनकी अनूठी पहल को राहगीरों ने भी खूब सराहा।

इस नए अभियान के माध्यम से परलैंगिक समुदाय ने समावेशी स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित किया और परिवर्तन के वाहक बने। उन्होंने भारत को कचरामुक्त बनाने के लिए हर किसी को छोटा से छोटा योगदान देने के लिए प्रेरित करने का एक उदाहरण प्रस्तुत किया।




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