स्त्री की पवित्रता और अस्मिता से जुड़ी है 'गाथा पंचकन्या'



आगरा : हिंदुस्तान की पौराणिक कथाओं में दर्ज ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या, पांडवों की पत्नी द्रौपदी, वानर राज बाली की पत्नी तारा, पांडु की पत्नी कुंती और रावण की पत्नी मंदोदरी के प्रेरक जीवन चरित्र पर केंद्रित उपन्यास 'गाथा पंचकन्या' को देशभर के साहित्यकारों के मध्य विशेष चर्चा और सराहना मिल रही है।

आगरा में जन्मीं, पली-बढ़ी और शिक्षित हुईं रेनू 'अंशुल' द्वारा लिखे इस उपन्यास की सराहना करते हुए आगरा की वरिष्ठ साहित्यकार रमा वर्मा 'श्याम' ने कहा कि स्त्री की पवित्रता और अस्मिता से जुड़ी यह कृति उल्लेखनीय और पठनीय है। आज की स्त्रियों तथा आने वाली पीढ़ी के लिए यह कृति मील का पत्थर साबित होगी।

रेनू अंशुल बताया कि अहिल्या, द्रौपदी, तारा, मंदोदरी और कुंती, ये पांचों स्त्रियां पौराणिक कथाओं का हिस्सा हैं लेकिन उनका जीवन केवल किसी की पत्नी, माता या पुत्री बनकर नहीं बीता। वे संघर्ष की धूप में तपकर, अनुभव की अग्नि में जलकर और समय के न्याय-अन्याय से टकराकर अपनी पहचान स्वयं गढ़ती हैं। पंचकन्या, वे पांच स्त्रियां हैं जो नारीत्व की सीमाओं में नहीं, उसकी संभावनाओं में रची गई हैं।

रेनू 'अंशुल' ने हिंदी साहित्य की अनेक धाराओं में अपनी संवेदनशील उपस्थिति दर्ज कराई है। कहानी, कविता, उपन्यास और नाटक उनके लिए केवल विधाएं नहीं, बल्कि जीवन के विविध रंगों को रचने के माध्यम हैं। 'उसके सपनों के रंग' और 'कहना है कुछ' कहानी संग्रह, 'लम्हों के दामन में' कविता संग्रह, 'पॉकेट में इश्क' लघु कथा संग्रह और 'बटरफ्लाइज' उपन्यास सहित उनकी पांच किताबें पहले सामने आकर समीक्षकों की सराहना पा चुकी हैं। 'गाथा पंचकन्या' उनकी छठवीं कृति है।

उल्लेखनीय है कि रेनू 'अंशुल' दूरदर्शन और आकाशवाणी के साथ-साथ विविध साहित्यिक मंचों से भी अपनी कविताओं, कहानियों इत्यादि का वाचन करती रही हैं। इनके लिखे नाटक रेडियो पर भी प्रसारित होते रहे हैं।




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