सप्ताहभर में वाइल्डलाइफ एसओएस ने बचाए 20 सरीसृप



आगरा : चाहे वह अस्पताल परिसर में पांच फुट लंबा अजगर हो या आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज के अंदर एक जहरीला कोबरा या फिर रुनकता स्थित गांधीधाम आश्रम से बचाया गया छह फुट लंबा रैट स्नेक...,, शहर में अप्रत्याशित बारिश ने सांपों को जंगल से बाहर आने पर मजबूर कर दिया है और वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट को काफी व्यस्त!

मॉनसून की बारिश शहर में फिर से दस्तक दे रही है, जिसके फलस्वरूप वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट को पता है कि यह उनके लिए एक व्यस्त सप्ताह में से एक हैं, क्योंकि विभिन्न सरीसृप प्रजातियां जंगल से शहर की ओर आश्रय लेने को मजबूर होंगी। सप्ताह की शुरुआत से लेकर अभी तक एनजीओ की हेल्पलाइन (+91-9917109666) पर टीम को सांपों, मॉनिटर लिज़र्ड (गोह) और यहां तक कि कछुओं के बारे में कई कॉल प्राप्त हुईं।

यूनिट ने इस सप्ताह में अभी तक कुल चार अजगर, चार कोबरा, छह वुल्फ स्नेक, चार रैट स्नेक, एक गोह और एक फ्लैपशेल कछुए को बचाया है।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि बारिश में सांपों से जुड़ी कॉल्स में वृद्धि होती हैं। चूंकि सांप और मॉनिटर लिज़र्ड के घर यानी गड्ढों में पानी भर जाता है, इसलिए वे सुरक्षित और सूखे स्थान की तलाश में जाने-अनजाने में आवासीय क्षेत्रों में आ जाते हैं, जिससे लोग भयभीत हो उठते हैं।

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एमवी ने बताया कि मानसून के दौरान प्रतिदिन करीब 10 से अधिक रेस्क्यू कॉल्स का जवाब दिया जाता है।

सभी जंतुओं को कुछ घंटों की निगरानी में रखने के बाद उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया जाता है।




Related Items

  1. अच्छी मानसूनी बारिश के लिए यमुना नदी से प्रार्थना

  1. स्कूल में अजगर देख बच्चों के उड़े होश...!

  1. रितेश पांडेय को लगता है 'यार का नखरा बारिश जैसा'!