बृज मंडल के प्रमुख मंदिरों से जुड़े संकल्पित सेवकों और संचालकों में विकास के नाम पर संस्कृति, धरोहरों, पर्यावरण के विनाश, को लेकर वेदना और आक्रोश ने बृज वृंदावन देवालय समिति के बैनर तले पिछले महीनों में लामबंदी और सामूहिक आवाज उठाने के जो प्रयास किए गए थे, वे अब रंग लाने लगे हैं। विभिन्न मुद्दों पर आम राय बनने लगी है, और एक स्वर में बृज के मूल स्वरूप को बचाने की आवाज गूंजने लगी है। सरकारी एजेंसियां अब तक नीतिगत मामलों पर स्थानीय लोगों की सलाह और हितों को नजर अंदाज करती रहीं हैं। लेकिन, अब परिदृश्य बदलता दिख रहा है।
इस संबंध में, बृज-वृन्दावन देवालय समिति की एक बैठक कामां स्थित गोपीनाथ मन्दिर में आयोजित की गई। इसमें बृज के विभिन्न मन्दिरों व देवालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। श्री राधारमण मन्दिर के सेवायत आलोक गोस्वामी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में ‘देवालय संघ’ ने काम्यवन को तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की। वृन्दावन के सप्त देवालयों में से एक श्री राधा मदन मोहन मन्दिर के सेवायत आचार्य अजय किशोर गोस्वामी ने कहा कि काम्यवन को तीर्थस्थल घोषित कर यहां के मन्दिर, देवालय व तीर्थों का संरक्षण किया जाना चाहिए।
देवालय संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ललितापीठाधीश्वर गोस्वामी कृष्णानन्द भट्ट ने कहा कि कामां और वृन्दावन में कोई अंतर नहीं है। काम्यवन ही आदि वृन्दावन है। काम्यवन में सभी तीर्थ उपलब्ध हैं। भगवान श्री कृष्ण ने सभी तीर्थों का बृज में आह्वान कर नन्द बाबा एवं यशोदा मैया को काम्यवन में सभी तीर्थों के दर्शन कराए थे।
संस्था की महासचिव अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि यहां चौरासी कुंड हुआ करते थे, लेकिन अब मात्र दो दर्जन कुंड ही बचे हैं। सरकार को जल संरक्षण के लिए मौजूद कुंडों को संरक्षित करना चाहिए एवं लुप्त कुंडों को पुर्नस्थापित करना चाहिए।
बलदेव के सेवायत गोविन्द शरण पाण्डेय ने कहा उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान सरकार भी काम्यवन को तीर्थस्थल घोषित करे। इसमें अंडा, मांस, मछली व शराब की बिक्री बन्द हो। केशव देव मन्दिर से जुडे़ गौरव गोस्वामी ने कहा कि कामां के प्राकृतिक संपदा का दोहन न हो। यहां की पहाड़ियों को धरोहर का दर्जा दिया जाए।
खादिरवन स्थित गोपीनाथ मन्दिर के सेवायत हरिश्चन्द्र गोस्वमी ने कामां के सभी मन्दिर एवं तीर्थों को सूचीबद्ध कर एक पुस्तिका छपवाने का सुझाव दिया। काम्यवन स्थित गोपीनाथ जी मन्दिर के सेवायत मनीष पारीख ने सभी मन्दिर एवं तीर्थों के चारों ओर अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग की।
इस अवसर पर भगवत स्वरूप शर्मा, अरुण भट्ट, लेखराज पंडा, गोपाल प्रसाद अग्रवाल, ओमप्रकाश शर्मा, रूद्र प्रताप सिंह, ब्रजेश कुमार शुक्ला, अनुज शर्मा, भरत चन्द्र, सुधा कृष्णन, बृजेश तिवारी, बलराम गोस्वामी व शम्भू दयाल श्रोत्रिय आदि ने भी संबोधित किया। बैठक का संचालन जगन्नाथ पोद्दार द्वारा किया गया।
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