नई दिल्ली : शास्त्रीय गायक पं. राजन मिश्र के 75वें जन्मदिवस के अवसर पर रस ट्रस्ट द्वारा कमानी सभागार में आयोजित सांगीतिक संध्या में प्रख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली ख़ान को ‘सरोद ऋषि’ सम्मान प्रदान किया गया।
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की दुनिया में उस्ताद अमजद अली ख़ान एक विशिष्ट उपलब्धि हैं। वह सरोद के पर्याय बन गए हैं। उनका परिवार पीढ़ियों से सरोद बजाता चला आ रहा है। अमजद अली ख़ान, हाफ़िज़ अली ख़ान के सबसे छोटे बेटे हैं और छठवीं पीढ़ी के सरोद वादक हैं। उस्ताद अमजद अली खान की पत्नी मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना शुभलक्ष्मी बरुआ ख़ान को भी आयोजन में सम्मानित किया गया।
इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत पंडित राजन मिश्र के चित्र पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्ज्वलन से हुई। सम्मान अलंकरण के बाद उस्ताद अमजद अली खान और पंडित कुमार बोस का सरोद व तबला संवाद हुआ। आरंभ राग बिहारी से हुआ। इसके बाद राग झिंझोटी विलंबित गत और साढ़े छह मात्रा की बंदिश का वादन किया गया। उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि राग कविता की तरह है। बजाने से पहले इसका अभ्यास बोल कर करना चाहिए। इन्होंने साढ़े छह मात्रा की बंदिश गाकर भी सुनाई। तबले पर इनकी संगत बनारस घराने के प्रख्यात तबला वादक पं. किशन महाराज के शिष्य पंडित कुमार बोस ने की।
ध्यान रहे, पं. राजन-साजन मिश्र की अप्रतिम जोड़ी का भारतीय शास्त्रीय संगीत गायन की परंपरा को विश्व विस्तार देने में सफल योगदान है। पं. राजन मिश्र की कोविड काल के दौरान निधन के बाद यह जोड़ी टूट गई, लेकिन साजन मिश्र संगीत के प्रति अपनी आस्था और पारिवारिक विरासत को टूटने से बचाने में जटे हुए हैं। कार्यक्रम में पं. राजन-साजन मिश्र की जोड़ी के सफर पर एक छोटा सा वीडियो भी दिखाया गया।
कार्यक्रम के दौरान पं. रितेश रजनीश मिश्र, पं. मिथिलेश झा व पं. सुमित मिश्रा ने भी प्रस्तुतियां दीं। ऋचा अनिरुद्ध ने मंच संचालन किया। संगीत, संस्कृति, कला क्षेत्र के अनेक वरिष्ठ लोगों और युवाओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

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