आगरा : पं. रघुनाथ तलेगांवकर फाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित नाद साधना प्रातःकालीन सभा के 33वें वार्षिक समारोह में पं. केशव द्वारा रचित चार ताल में ध्रुपद शैली पर आधारित राग अहीर भैरव में नाद वंदना प्रस्तुत की गई।
ग्रांड होटल के मुख्य सभागार में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान गणेश और मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर पं. रघुनाथ तलेगांवकर, सुलभा तलेगांवकर एवं पं. केशव तलेगांवकर के चित्र पर अरविन्द कपूर, मोहित श्रीवास्तव, विजयपाल सिंह चौहान एवं अनिल वर्मा द्वारा माल्यार्पण किया गया। यह संगीत सभा पं. रघुनाथ जन्म शती के उपलक्ष्य में आयोजित की गई।
इस दौरान, संगीत कला केन्द्र संगीत साधकों ने पं. रघुनाथ तलेगांवकर द्वारा रचित प्रातःकाल के रागों में कई बंदिशे प्रस्तुत कीं। इनमें राग गुणकली, कालिंगड़ा, यमनी बिलावल, देवरंजनी, भटियार, देशकार, रामकली व नट भैरव आदि सम्मिलित किए गए। आर्ची, अभिलाषा शुक्ला, ईशा सेठ, नीपा साहा, निशा गुडवानी, दर्षित राज सोनी, गोपाल मिश्र, युवराज दीक्षित व सुमित कुमार ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। तबले पर हरिओम माहौर और संवादिनी पर प्रत्यूष विवेक पांडेय ने संगति की। कार्यक्रम में डा. मंगला तलेगांवकर मठकर ने भी राग जौनपुरी में विलंबित, मध्यलय एवं द्रुत गत सितार पर प्रस्तुति दी। इनके साथ तबले पर संगति डॉ. लोकेन्द्र तलेगांवकर ने दी।
कार्यक्रम का समापन ग्वालियर घराने के उभरते गायक डा. यश संजय देवले के शास्त्रीय गायन के साथ हुआ। उन्होंने राग बसन्त मुखारी में विलंबित एक ताल में ‘मालानिया गूंद लावो री’ एवं मध्यलय तीन ताल ख्याल ‘मनवा नहीं लागे सुन कोयल कूक’ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डा. यश संजय देवले एवं डॉ. मंगला को ‘नाद गौरव’ सम्मान प्रदान किया गया।
आयोजन में डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, अरुण डंग, डॉ. एसके अरेला, डॉ. प्रमिला चावला, डॉ. अरुण चतुर्वेदी, दीपक प्रहलाद, धन्वन्तरि पाराशर, योगेश शर्मा, अनिल शर्मा, डॉ. मधु भारद्वाज, पं. गिरधारी लाल, मनीष प्रभाकर, प्रमिला उपाध्याय, डॉ. महेश धाकड़, असलम सलीमी, हरिकांत शर्मा, पार्थो सेन, विदुर अग्निहोत्री व डॉ. भानु प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।
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