‘इस बार भी व्यर्थ ही बह गया करोड़ों लीटर पानी…’

आगरा : “विगत वर्षों से तुलना करें तो आगरा में इस वर्ष लगभग 60 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, लेकिन इसका पूरा फायदा नहीं उठाया गया। इस बार भी करोड़ों लीटर पानी व्यर्थ ही बह गया...,” यह कहना है उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह का। अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए उन्होंने प्रशासन से वर्षा जल संचयन के ठोस उपाय करने की मांग की है।

सिंह ने कहा कि नोएडा व ग्रेटर नोएडा की तर्ज पर आगरा सहित प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों को किसी भी बहुमंजिला इमारत या मकान का नक्शा पास करते वक्त उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, निर्माण पूरा होने का प्रमाण पत्र तभी जारी किया जाए जब रेनवाटर हार्वेस्टिंग का इंतजाम वहां किया जा चुका हो। उनका कहना है कि जब वह कैबिनेट मंत्री थे, तब उनके कार्यकाल में इस संबंध में नियम बन गया था लेकिन प्रशासन की ढिलाई के कारण इस पर अमल नहीं हो सका।

राजा अरिदमन सिंह का कहना है कि नगर निगम के अंतर्गत अधिकृत कॉलोनियों में आर्किटेक्ट्स का पैनल बनाकर ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि जागरूक और इच्छुक लोग उनसे संपर्क करके अपने घरों में रेन वाटर रीचार्जिंग सिस्टम लगवा सकें। उन्होंने बताया कि आगरा में सीडीओ ए मणिकंडन ने प्राइमरी और सरकारी सेकेंडरी स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रबंध करवाया था, किंतु अब उस सिस्टम में कई जगह से पाइप टूट गए हैं। इनकी मरम्मत करना आवश्यक है। साथ ही, शेष स्कूलों में भी रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जरूरी है।

एक आरटीआई से निकाली गई जानकारी के अनुसार आगरा के सभी ब्लॉकों में 2825 ऐसे तालाब हैं जिन पर कोई कब्जा नहीं है। इन्हें प्रशासन द्वारा शीघ्र से शीघ्र पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। सिंह के अनुसार, 14वें और 15वें वित्त आयोग के साथ ही अमृत सरोवर के लिए आने वाले सरकारी धन का सही, सार्थक और शीघ्र सदुपयोग प्रशासन द्वारा किया जाना चाहिए ताकि निरंतर नीचे जाता भूगर्भ जलस्तर ऊपर आ सके। अगर तलाब बनकर जल्दी तैयार कर दिए जाएंगे तो अगले वर्ष वर्षा जल का संचय किया जा सकेगा।

सिंह ने बताया कि उनके कार्यकाल में राजा रिपुदमन सिंह चंबल डाल परियोजना के चलते बाह, जैतपुर और पिनाहट के ब्लॉक लंबे समय तक व्हाइट श्रेणी में रहे, लेकिन लोगों द्वारा सरकारी हैंडपंपों की दुर्गति किए जाने और निजी समर्सेबल पंप लगाकर अधिक से अधिक जल निकासी के चलते अधिकांश ब्लॉक डार्क श्रेणी में चले गए हैं। अतः शासन-प्रशासन को युद्ध स्तर पर कार्य करने की जरूरत है।

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