'रेत स्नान' से यमुना नदी की दुर्दशा को किया उजागर

आगरा : रिवर कनेक्ट अभियान के कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने यहां यमुना नदी में गहराए गंभीर जल संकट और प्रदूषण की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक नाटकीय कदम उठा लिया। इस अनोखे विरोध प्रदर्शन के दौरान स्वयंसेवकों ने नदी की भयावह स्थिति के प्रतीक के रूप में स्नान करने के लिए पानी के बजाय यमुना नदी की सूखी रेत का इस्तेमाल किया।

कार्यकर्ता पद्मिनी अय्यर ने बताया कि यह कार्यक्रम यमुना आरती स्थल पर हुआ, जहां स्वयंसेवकों ने एक-दूसरे पर रेत डाली, अपने शरीर को इससे रगड़ा और बड़ी संख्या में समर्थक भीड़ की मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से खुद को धोया। इस गैर-परंपरागत कार्य का उद्देश्य यह उजागर करना था कि कैसे कभी महान रही यमुना नदी पानी की कमी और अत्याधिक प्रदूषण के कारण दम तोड़ रही है।

रेत के विशाल टीले तैयार किए गए और जैसे ही भीड़ आगे बढ़ी, कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे पर रेत डालना शुरू कर दिया। इस मौके पर, रिवर कनेक्ट अभियान के राष्ट्रीय संयोजक बृज खंडेलवाल ने बताया कि यमुना नदी मर चुकी है। नदी में ताजा पानी नहीं है। केवल दिल्ली, मथुरा और फरीदाबाद जैसे ऊपरी शहरों से अपशिष्ट कीचड़ बहता रहता है।

यह मार्मिक विरोध प्रदर्शन गंगा दशहरा पर्व पर आयोजित किया गया, जो पारंपरिक रूप से पवित्र नदियों में अनुष्ठानिक स्नान करके उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। खंडेलवाल ने कहा कि गंगा दशहरा जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर सरकारी एजेंसियों को ऊपरी बैराज से पानी छोड़ना चाहिए था। लेकिन, इसके अभाव में श्रद्धालु अनुष्ठानिक स्नान नहीं कर पाने से दुखी और आहत हैं।

कार्यकर्ताओं ने यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार से तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने ऊपरी बैराज से ताजा पानी छोड़ने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कड़े उपायों को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

रिवर कनेक्ट अभियान के सदस्यों ने इसे ‘रॉयल सैंड बाथ’ नाम दिया है। अभियान के दौरान गुस्साए नागरिकों की एक बड़ी भीड़ ने राज्य व केंद्र दोनों सरकारों पर जमकर हमला बोला। रेत स्नान के दौरान उपस्थित पर्यावरणविद् देवाशीष भट्टाचार्य ने बताया कि आज भी नगर निगम की सीमा में 60 से अधिक नाले खुलेआम घरेलू अपशिष्ट और जहरीले औद्योगिक पदार्थों को नदी में उड़ेल रहे हैं। नदी में पानी नहीं है और कूड़े के ढेर हर जगह दिखाई देते हैं। सत्ताधारियों द्वारा की जा रही ऐसी लापरवाही मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है।

‘रेत स्नान’ के आयोजक पंडित जुगल किशोर ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से रिवर कनेक्ट अभियान ताजमहल के नीचे बैराज के निर्माण, नदी के तल से गाद निकालने और ड्रेजिंग की मांग कर रहा है, लेकिन दुख की बात है कि इस मामले में अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है।

कार्यकर्ता हरेंद्र गुप्ता ने कहा कि वह पूरी तरह से निराश हैं। पवित्र स्नान करने के लिए रेत का उपयोग करने के अलावा कोई और विकल्प शेष नहीं बचा है। नदी की सफाई से जुड़े कार्यकर्ता चतुर्भुज तिवारी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा घोषित बहुचर्चित रिवर फ्रंट डेवलपमेंट परियोजना का तब तक कोई मतलब नहीं है जब तक नदी में पानी न हो। एक अन्य कार्यकर्ता राहुल राज ने कहा कि जब नदी में पानी नहीं होता है, तो केवल रेत स्नान ही किया जा सकता है।

कार्यक्रम में शिशिर भगत, मुकुल पांड्या, रोहित गुप्ता, शशिकांत उपाध्याय, निधि पाठक, जगन प्रसाद तेहरिया, शहतोश गौतम, गोस्वामी नंदन श्रोत्रिय, बल्लभ, ज्योति खंडेलवाल, विशाल झा, दीपक जैन, चतुर्भुज तिवारी व दीपक राजपूत ने भाग लिया।

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