बढ़ते सांस्कृतिक व सामाजिक प्रदूषण पर जताई चिंता



आगरा : अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पर नृत्य ज्योति कथक केंद्र के तत्वावधान में रविवार को ब्रह्मा कुमारी के ईदगाह स्थित प्रभु मिलन केंद्र प्रांगण में आयोजित 'कला संवाद' में संगीत, फिल्म, कला, थिएटर व लेखन क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ताओं द्वारा बढ़ते सांस्कृतिक प्रदूषण पर गंभीर चिंता जताई गई।

आयोजन में कहा गया कि युवा पीढ़ी को आकर्षित करने और लगातार विकसित हो रहे मनोरंजन उद्योग में प्रासंगिक बने रहने के दबाव के कारण, पारंपरिक और आधुनिक शैलियों के बीच की सीमाएं हल्की हो गई हैं। किसी भी कला रूप के विकास के लिए नवाचार और प्रयोग आवश्यक हैं, पर अंतर्निहित परंपराओं की उचित समझ या सम्मान के बिना आधुनिक प्रभावों को शास्त्रीय प्रदर्शनों में शामिल कर देना भी उचित नहीं है।

विषय प्रवर्तन करते हुए नृत्य ज्योति कथक केंद्र की संचालिका ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि भारत में पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य, गायन व अन्य संगीत परंपराएं लंबे समय से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और गहन कलात्मक अभिव्यक्तियों के लिए पूजनीय रही हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में आधुनिक, लोकप्रिय और समकालीन रुझानों ने प्रभावित कर इन पारंपरिक कला रूपों को प्रदूषित कर दिया है।

पर्यावरणविद् और वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल ने रिवर कनेक्ट अभियान के बारे में बताया और जल प्रदूषण से नदी को बचाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है और समाज यदि परिवर्तन से खुश है तो हमें उसे अपनाने से डरना नहीं चाहिए। समय के साथ सबको बदलना चाहिए। हर बदलाव प्रदूषण नहीं होता है।

संवाद में उपस्थित ब्रह्माकुमारी प्रमुख बीके अश्विना ने कहा कि बाजार में सब कुछ है पर यह देखना होगा कि हमारे और हमारी संस्कृति के लिए क्या ठीक है और क्या नहीं। दयालबाग विश्वविद्यालय के संगीत विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. लवली शर्मा ने कहा कि संगीत आत्मिक सुख और शांति के लिए है और इस पुरानी विरासत में आधुनिक परिवर्तन वहां तक ठीक हैं, जब तक कि वे हमारे प्राचीन स्वरूप को नष्ट नहीं करते हैं।

वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल जैन ने कहा कि आज भी रंगमंच के जरिए प्राचीन विरासत भगत नाट्य शैली के माध्यम से युवाओं को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। पत्रकार डॉ. महेश चंद्र धाकड़ ने कहा कि संगीत में मिलावट ठीक नहीं है। फिल्म लेखक सूरज तिवारी ने कहा कि संगीत प्रदूषण मिलावट से नहीं बल्कि उच्च ध्वनि यंत्रों के कारण हो रहा है।‌ साहित्यकार श्रुति सिन्हा ने कहा कि आज महिला संगीत व उत्सवों के दौरान ढोलक-मंजीरे लुप्त हो गए है। कार्यक्रम में बीके अमर, अनिल शुक्ला भगत व विक्रम शुक्ला ने भी अपने विचार रखें।

इस अवसर पर नृत्य ज्योति कथक केंद्र के प्रतिभाशाली कलाकारों ने पर्यावरणीय मुद्दों को नृत्य नाटिका के माध्यम से प्रदर्शित किया। युवा कलाकार आरना अग्रवाल, इनारा, दर्शना वशिष्ठ, पल्लवी कौशल, अव्या गुप्ता, अन्वी गोयल, वर्णिका मांगलिक, सुमन, काव्या, प्रियांशी व अक्षधा ने यमुना नदी की दुर्दशा पर एक हृदयस्पर्शी प्रस्तुति दी।

मंच संचालन मंजरी शर्मा व नव्या अग्निहोत्री ने किया। कार्यक्रम में डॉ. मीरा खंडेलवाल, आनंद राय, पद्मिनी अय्यर, डॉ. रीता निगम, मृदुल कुलश्रेष्ठ, डॉ. कौशल, प्रदीप श्रीवास्तव, संजय विश्वकर्मा व टोनी फास्टर उपस्थित रहे।




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