करुणा की प्रतीक हथिनी सूज़ी का हुआ निधन…!



वाइल्डलाइफ एसओएस के मथुरा स्थित हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में 74 साल की सबसे बुजुर्ग हथिनी सूज़ी का निधन हो गया। सूज़ी को साल 2015 में आंध्र प्रदेश के एक सर्कस से कैद की जिंदगी से बचाया गया था।

बचाई गई हथिनी सूज़ी की आज़ादी की यात्रा नौ साल पहले तब शुरू हुई जब वह दृष्टिहीन लेकिन जोश से भरी हुई हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र पहुंची। उसकी देखभाल करने वाले पशु चिकित्सक और उसकी सबसे अच्छी दोस्त आशा और लाखी हमेशा उसके साथ रहती थीं। तीनों हरे-भरे जंगल में घूमते हुए या पूल में पानी से खेलते हुए घंटों बिताते थे।

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तीनों हथिनियों के इस विशेष रिश्ते के सम्मान में वाइल्डलाइफ एसओएस ने ‘माई स्वीट पारो’ नामक एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई थी, जो सूज़ी और उसकी देखभाल में लगे बाबूराम के बीच अटूट संबंध का वर्णन करती है। फिल्म में उनके एक साथ समय बिताने के क्षणों को कैद किया गया है, जो उनके साथ बाबूराम के अटूट समर्पण और शब्दों से परे प्यार को उजागर करता है।

सूज़ी की देखभाल करने वाले प्यार से उसके लिए एक विशेष आहार बनाते, जिसे ‘सूजी स्मूथी’ के नाम से जाना जाता था। यह मसले हुए, पानी वाले फलों से बनाया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह बिना किसी कठिनाई के अपने भोजन का आनंद ले सके।

वाइल्डलाइफ एसओएस की सचिव गीता शेषमणि ने बताया कि सूज़ी और बाबूराम के बीच का बंधन इंसानों और जानवरों के बीच मौजूद गहरे रिश्तों का उदाहरण है। सूज़ी की विरासत हमेशा उन लोगों के दिलों में बनी रहेगी जो उसकी परवाह करते थे और जिन्होंने बाबूराम के साथ उसके असाधारण बंधन को देखा था।




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