साल 2030 तक 300 भीख मांगने वाले हाथियों को मुक्त कराने का लक्ष्य



वाइल्डलाइफ एसओएस साल 2030 तक सभी भीख मांगने वाले हाथियों को बचाने के लिए एक अभियान शुरू कर रहा है।

अवैध रूप से और उचित कागजी कार्रवाई के बिना, अनुमानित 300 हाथियों को पैसा कमाने के उद्देश्य से देश की सड़कों पर चलने के लिए मजबूर किया जाता है। कुपोषित और दुर्बल इन हाथियों को और इनकी पीड़ा को अक्सर लोगों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है। आमतौर पर छोटे बच्चे के रूप में जंगल से पकड़कर अपने झुंड से अलग कर दिए गए इन हाथियों को 'भीख मांगने वाले' हाथियों के रूप में जाना जाता है। बुद्धिमान और सामाजिक जानवर यह हाथी नेत्रहीन, एकान्त जीवन और गंभीर चोटों के साथ अपना जीवन जीते हैं। इन्हें करतब दिखाने, आशीर्वाद देने या सवारी कराने और समारोहों और त्योहारों में देखा जा सकता है।

संस्था का भीख मांगने वाले हाथियों की मदद के लिए चलाया गया अभियान पांच चरण में विभाजित है। पहले चरण में हाथियों को सड़कों से हटाकर बचाव केंद्रों में ले जाना होगा, जहां उनकी उचित देखभाल की जाएगी। दूसरे चरण में, सड़कों पर मौजूद हाथियों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करना रहेगा। तीसरे चरण में, कानून प्रवर्तन और अवैध शिकार विरोधी कार्यक्रमों का समर्थन करके और अधिक हाथियों को सड़कों पर आने से रोकना होगा। चौथे तरण के दौरान इन हाथियों की पीड़ा के बारे में सामुदायिक जागरूकता पैदा करना और उनके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आवश्यकताओं के बारे में लोगों को बताने का कार्य किया जाएगा। आखिरी चरण में इन हाथियों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए पशु चिकित्सकों को आधुनिक कौशल सिखाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

आम जनता वाइल्डलाइफ एसओएस की एलीफैंट हेल्पलाइन पर भीख मांगते हाथी की सूचना देकर इसमें शामिल हो सकते हैं या फिर संस्थान की वेबसाइट पर पर संदेश भेज सकते हैं। दिए गए नंबरों पर एसएमएस या व्हाट्सएप भी किया जा सकता है।

अभियान की आवश्यकता के बारे में बताते हुए वाइल्डलाइफ एसओएस के कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स निदेशक बैजूराज एमवी ने कहा कि यह अभियान बंदी हाथियों की पीड़ा को समाप्त करने के लिए एक सहायक कदम साबित होगा।




Related Items

  1. बृज की आत्मा को बचाने के लिए देवालयों से उठी आवाज

  1. हाथियों और भालुओं के साथ अश्मित पटेल ने मनाया क्रिसमस

  1. शीतलहर से भालू और हाथियों को बचाने के लिए किए विशेष इंतजाम